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जिले के वीआईपी लोग मेडिकल स्टाफ एवं आम लोगो के लिए बने समस्या

जानलेवा महामारी की पड़ताल करती एक रिपोर्ट

मेडिकल कालेज प्रबंधन के मुताबिक, हर वक्त मौजूद है साजो सामान

प्राचार्य बोले पर्याप्त ऑक्सीजन से लेकर रेमडीसीवीर, डेरी फाइलिंन इंजेक्शन की डोज हर वक्त मौजूद

के0एस0दुबे जॉर्नलिस्ट बाँदा - कोरोना पीड़ितों का मददगार बना बाँदा मेडिकल कॉलेज मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ मुकेश यादव ने कहा मेडिकल स्टाफ इस जिले ही नही बल्कि चित्रकूटधाम मंडल के चारो जनपदों बाँदा,चित्रकूट,महोबा,हमीरपुर से आने वाले मरीजों के लिए हर सम्भव मदद के लिए समर्पित है, बशर्ते कुछ धनाड्य मरीजो के तीमारदार अनावश्यक दबाव डालकर कार्य मे बाधा उत्पन्न करते है जिससे मरीजो का नुकसान होता है।

गौर करने वाली बात यह है कि बीते साल कॅरोना महामारी में जहाँ एक भी मरीज की मौत इस मेडिकल कालेज में नही हुई थी । वही महामारी के इस दौर में अकेले 10 अप्रैल से अब तक करीब 50 कॅरोना मरीजों की मौत बीमारी की भयावहता की वजह से हो चुकी है।आंकड़े बताते है कि इस वक्त मेडिकल कॉलेज बाँदा में करीब 158 मरीज भर्ती है जिनका उपचार हो रहा है।

मिल रही खबरों के मुताबिक मेडिकल कॉलेज में सुरच्छा एक सबसे बड़ा मुद्दा है। वैसे देखा जाए तो प्रदेश के हर मेडिकल कॉलेज में सुरच्छा के व्यापक इंतजाम व बंदोबस्त होते है किंतु बाँदा मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा का  कोई इंतजाम नही है जिससे मेडिकल स्टाफ के अंदर असुरक्षा, डर बना रहता है, ले देकर मेडिकल कॉलेज में खोली गई पुलिस चौकी के स्टाफ को मोरम निकासी में होने वाली अवैध वसूली से ही फुरसत नही है।

जानने योग्य बात यह है कि मेडिकल कॉलेज में आये दिन ऑक्सीजन के सिलेंडर व खाना आदि जरूरी मेडिकल समान सामर्थ्यवान मरीजों के तीमारदार व वीवीआइपी लूटकर अपना हाथ साफ कर देते है वही गांव कस्बो से आये मरीज व मेडिकल स्टाफ खुलेआम हो रहे तमाशे को देखते रहते है।

मेडिकल कॉलेज की सबसे बड़ी समस्या गंभीर रूप से बीमारों की मृत्यु होने की दशा में होती है। जब शव के मॉर्चरी में पहुचने के बाद जब जिले का मेडिकल स्टाफ जरूरी सहयोग नही करता और मृत शवो के परिजन मेडिकल कॉलेज में हो हल्ला व शोर शराबा करते है। समस्या यह है कि मेडिकल कॉलेज में जो मॉर्चरी है वो मेडिकल कॉलेज की है लेकिन उसमे आने वाले शवो की समस्या का निस्तारण व समाधान मुख्य चिकित्सा कार्यालय बाँदा के जिम्मे होता है।इसी वजह से मुख्य चिकित्सा कार्यालय की ओर से जब समय पर मेडिकल वैन अथवा शव निस्तारण की कार्रवाई में देरी होती है उसकी समस्या से मेडिकल कॉलेज स्टाफ को ही जूझना पड़ता है। अगर शव निस्तारण की समस्या को मुख्य चिकित्सा कार्यालय बाँदा का स्टाफ अपनी जिम्मेदारी निभाता है तो व्यवस्था में कोई समस्या नही होगी।

कॅरोना महामारी के संदर्भ में राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ मुकेश यादव ने बताया कि मरीजो की मदद के लिए उनका स्टाफ पूरी तरह तैयार है। उक्त महामारी से लड़ने और मरीजो की मदद के लिए उनके पास 100 सिलेंडर ऑक्सीजन,रेमडीसीवीर व डेरिफाइलिंन के इंजेक्शन व अन्य दवाएं पर्याप्त मात्रा में मौजूद है जब कि ऑक्सीजन के 190 सिलेंडर शीघ्र आने वाले है।

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